Saturday 25 August 2012

RIOTS OR WRONG


धर्म एक आस्था ना की हथियार

RIOTS OR WRONG 

                                                        
             " इल्म नहीं है मेरा इतना की तेरी आवाज़ मैं बन जाऊ, न औकात इतनी की किसी पर इल्जाम मैं लगाऊ, बस चाहता हुं इतना की मेरे शब्दों से ऐ सोते हुवे इन्सान मैं तुम्हें  जगाऊ......| "


                   धर्म एक बेहद व्यक्तिगत मामला होता है , मैं किसे आराध्य मानु, किसे मैं सज्दा करू , यह मेरे मन की बात | लकिन हकीकत ऐसी नहीं हैं, मेरे देश में धर्म व्यक्तिगत पहचान के साथ साथ सामाजिक पहचान भी रखता हैं | आप क्या करते हैं, बाद की बात है, धर्म आपकी पहचान पहले पुख्ता करेगा | धर्म तय करता है कि आपको कहाँ रहना चाहिए, आप क्या खाते है, क्या पहनते है और कई बार तो ऐसी बाते जो यहाँ लिखना मुनासिब नहीं है, सभी धर्म ही तय करता हैं | मेरे देश में सभी धर्मो का सामान रूप से विकास हुआ, सभी धर्म यहाँ फले फुले लकिन धर्म के ठेकेदारों ने धर्म को अफीम के नशे की तरह पीढ़ी दर पीढ़ी इस तरह पिलाया की आज वो नफरत का जहर बनकर हमारी रगों में दौड़ रहा हैं | कभी सत्ता के संघर्ष में कभी वोट की राजनीति में धर्म एक हथियार है जिससे न जाने कितने बेक़सूर अपनी जान गवा बेठे हैं | कभी धर्म के नाम पर दंगे फैला कर हजारों लोगों की लाशो पर सत्ता का महल खड़ा किया जाता है तो कभी एक राजनीतिक हस्ती के क़त्ल के इल्जाम में एक जाती विशेष के लोगो को बेरहमी से क़त्ल किया जाता हैं | हम ईद के अवसर पर मिलकर खीर का लुत्फ़ उठाते हैं, दीपावली पर साथ मिलकर पठाखें फोड़ते हैं, लोहड़ी पर मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, लकिन न जाने वो कौन सा नशा हैं, जिसमे गाफिल एक दुसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं ? 1947 के भारत विभाजन के दंगे हो या 1984 के सिख विरोधी दंगे हो, 1992 का बाबरी मस्जिद विवाद हो या 2001 में गोधरा कांड के बाद बापू की जन्मस्थली गुजरात में हुए दंगों की बात हो, एक जख्म अभी भरता नहीं एक जख्म ओर दे जाते हो, ये कौन बरगला देता है तुम भाइयों को कि एक दुसरे के खून के प्यासे हो जाते हो ? जिसका क़त्ल हुआ उसके घरवाले उसकी याद में कहाँ सो पाते होंगे, जिसने क़त्ल किया वो भी खून से रंगे हाथ लिए, कहाँ उस भार को लिए सो पाता होगा ?


                   महात्मा गाँधी ने कहा था की एक आंख के बदले आंख फोड़ते रहे तो सारी दुनियाँ अंधी हो जाएगी | आज सोचता हुं की उनकी बात सत्य हो गयी, आंखे तो सभी के पास हैं फिर भी न जाने क्यों अंधकार सा चारो ओर हैं , मंदिर मस्जिद जो हमारी आस्था के प्रतिक थे आज हमारी लड़ाई के हथियार हैं | समय सब कुछ अपने साथ ले जायेगा, कोई मिटी में मिल जायेगा तो कोई आग की लपटों में राख़ हो जायेगा, एक दिन ऐसा भी आयेगा की इस धरती का अस्तित्व ही मिट जायेगा, तब इतिहास में अपने नाम लिखाने को तत्पर लोगो सुनलो इतिहास खुद एक इतिहास हो जायेगा | कितनी भी मुर्तिया बनवालो या भवनों के नाम अपने नाम पर करवालो, एक दिन न कोई नाम लेने वाला होगा न जाती की चिंता करने वाला | एक नश्वर संसार में अपने अस्तित्व की लड़ाई करते करते थक जायो तो किसी मासूम चहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास करना शायद यह जीवन ओर अधिक सार्थक लगेगा |

                                                                                                            डा. इमरान खान 
                                                                                                              9929786743

1 comment:

Unknown said...

ITS NOT COMPLETED YET SO SUGGESTIONS ARE WELCOME